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जख्म भर जाये मेरा....
ग़ज़ल क्र० 66
मारना चाहता है खुशी के लिए ।
शत्रु है आदमी, आदमी के लिए ।।
कत्ल कर मेरा कातिल छुपा है अभी ।
कोई तो दे पता बन्दगी के लिए ।।
जख्म भर जाये मेरा सुनो आपकी ।
बस दुआ चाहिए जिंदगी के लिए ।।