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बुधवार, 24 अप्रैल 2019

12:16 am

जख्म भर जाये मेरा....

ग़ज़ल क्र० 66

मारना   चाहता   है   खुशी  के  लिए ।
शत्रु  है  आदमी,  आदमी   के   लिए ।।

कत्ल कर मेरा कातिल छुपा है अभी ।
कोई  तो  दे  पता  बन्दगी  के   लिए ।।

जख्म  भर  जाये  मेरा  सुनो  आपकी ।
बस  दुआ  चाहिए   जिंदगी  के  लिए ।।

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